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दीपावली का दूसरा दिन, दंतेवाड़ा में मनाया गया गौरा गौरी पर्व, समाज के लोगों ने की शिव भगवान की पूजा

Posted on: 2025-10-21
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दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में दिवाली पर्व के साथ ही त्यौहारी सीजन का रंग देखने को मिल रहा है. दीपावली के दूसरे दिन नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में लोगों ने गौरा गौरी का पर्व मनाया. इस पर्व में छत्तीसगढ़ की प्राचीन परंपरा की झलक देखने को मिली. सुबह से लोग इस पूजा की तैयारी में जुटे रहे. खुशियों के साथ गौरा गौरी पूजा का आयोजन किया.

दीपावली के दूसरे दिन होती है पूजा: गौरा गौरी की पूजा दीपावली के दूसरे दिन की जाती है. दीपावली की रात समाज के लोग पूजा-अर्चना कर गौरा-गौरी की मूर्तियों को विधिवत स्थापित करते हैं, जिन्हें बैठाना कहा जाता है. इसके अगले दिन सुबह से ही गांव और शहरों में धार्मिक वातावरण बन जाता है. समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में एकत्र होकर पूजा-पाठ करते हैं और फिर गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाली जाती है. यह शोभायात्रा पूरे शहर में घूमती है.

निकाली गई गौरा गौरी की बारात: दंतेवाड़ा नगर में गौरा गौरी पूजा पर गौरा गौरी की बारात निकाली गई. इस बारात में पुरुष वर्ग के लोग शामिल हुए. इसके अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं भी इस यात्रा में शामिल हुईं. महिलाएं पारंपरिक परिधान में सजे सिर पर पूजा की थाल लिए और हाथों में कलश लेकर लोकगीत गातीं नजर आईं. महिलाएं लोक गीत के साथ साथ लोक नृत्य भी कर रहीं थी. इससे पूरा वातावरण उत्सव भरा हो गया.

गौरा गौरी बारात का लोगों ने किया स्वागत: गौरा गौरी बारात का लोगों ने स्वागत किया. जैसे ही दंतेवाड़ा की गलियों और चौक चौराहों से यह बारात निकली लोगों ने फूल बरसाकर इस बारात का स्वागत किया. गौरा गौरी के पर्व में बच्चों के साथ साथ बुजुर्ग और सभी वर्ग के लोग शामिल हुए. श्रद्धालुओं ने भगवान शंकर और माता पार्वती की स्तुति में भजन गाए और पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की.

गौरा गौरी पूजा पर सोटा प्रहार की परंपरा: शाम होने के बाद गौरा-गौरी की मूर्तियों को डंकनी नदी के तट पर ले जाया गया, यहां परंपरानुसार मूर्तियों का विसर्जन किया गया. विसर्जन के दौरान समाज के लोग पारंपरिक गीतों के साथ नाचते-गाते नदी तट तक पहुंचे. वहां गौरा-गौरी को प्रणाम कर जल में विसर्जित किया गया.

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