कोरबा, 20 अक्टूबर । जिले में दीपावली के दिन जब पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा है, उसी समय एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के सामने कुछ परिवार आंखों में आंसू और दिल में दर्द लेकर न्याय की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 22 वर्षों से वे अपनी अधिग्रहीत जमीन के बदले रोजगार की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक एसईसीएल प्रबंधन की ओर से सिर्फ आश्वासन और गुमराह करने वाली बातें ही मिली हैं।
इन ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि एसईसीएल कुसमुंडा के अधिकारियों ने वर्षों तक झूठे वादों से भ्रमित किया, जिससे उनकी आर्थिक और मानसिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। स्थिति इतनी गंभीर है कि प्रभावित परिवारों ने बिना अन्न-पानी ग्रहण किए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है।
धरना स्थल पर मौजूद बसंती बाई बिंझवार, गोमती केंवट, सरिता बिंझवार, मीना कंवर, इंद्रा गोसाई, काजल सारथी, अदिति, मानसी, सहरतीन बाई, सूरज बाई, रामकुंवर और टिकैत राम बिंझवार जैसे ग्रामीणों ने कहा कि, “हमारे पूर्वजों ने एसईसीएल को अपनी जमीन दी थी ताकि आने वाली पीढ़ी को रोजगार और सम्मान मिले, पर आज हम भूखे पेट, दीपावली के दिन भी सड़क पर हैं। हमारे बच्चों का भविष्य अंधकार में है।”
ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी है कि, यदि आंदोलन के दौरान किसी भी व्यक्ति की तबीयत बिगड़ती है या कोई अनहोनी होती है, तो उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक तानाजी पाटिल की होगी।
इस आंदोलन की जानकारी जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, एसडीएम कटघोरा, थाना प्रभारी कुसमुंडा, तहसीलदार दर्री तथा स्थानीय विधायक प्रेमचंद पटेल सहित मीडिया प्रतिनिधियों को भी दी गई है।
धरना स्थल पर दीपावली की रात भी अंधेरी रही। जहां शहर में दीयों की लौ जल रही थी, वहीं कुसमुंडा के इन विस्थापित परिवारों की आंखों से आंसुओं की धार बह रही थी।
हिन्दुस्थान समाचार/हरीश तिवारी