अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय टेक्टोनिक प्लेटें दो भागों में टूट रही हैं, जो बेहद चिंता का विषय है। इसके कारण, इसका एक हिस्सा पृथ्वी के आंतरिक कोर में धंस रहा है।
सरल शब्दों में, पृथ्वी पर मौजूद भूमि का नक्शा बदल सकता है। इस शोध के अनुसार, यदि भारत की भूमि के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेटें इसी तरह खिसकती या टूटती रहीं, तो इसका भारत के साथ-साथ एशिया के कई देशों पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा।
आपको बता दें कि हमारी पृथ्वी कुल 7 टेक्टोनिक प्लेटों पर टिकी है। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो पृथ्वी के नीचे घर्षण पैदा होता है, जिससे भूकंप और प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं। यदि भारतीय प्लेट टूटती है,
तो वह कोर में धंस जाएगी। इस अध्ययन के अनुसार, भारतीय प्लेट पिछले 6 करोड़ वर्षों से यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। यूरोप और एशिया की सीमा पर स्थित प्लेट को यूरेशियन प्लेट कहा जाता है।
इस प्लेट के भारतीय प्लेटों से टकराने के कारण, विघटन (डिलेमिनेशन) नामक प्रक्रिया हो रही है। इस प्रक्रिया के दौरान, प्लेट का वह भाग जो अधिक सघन है, पृथ्वी के अंदर धँस रहा है। यही कारण है कि भारतीय प्लेटों में दरारें पड़ रही हैं।
इसका परिणाम यह होगा कि प्लेट के खिसकने से उस स्थान पर भूकंप का खतरा काफी बढ़ जाता है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के भूविज्ञानी साइमन क्लेम्परर का कहना है कि हिमालयी क्षेत्रों में टेक्टोनिक प्लेटों पर दबाव बहुत अधिक है,