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क्या क्रायोनिक्स तकनीक मृत्यु के बाद भी मनुष्य की सांस वापस ला सकती है

Posted on: 2025-08-12
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क्या क्रायोनिक्स तकनीक मृत्यु के बाद भी मनुष्य की सांस वापस ला सकती है

क्या इंसान फिर से ज़िंदा हो सकता है? क्या इंसान का पुनर्जन्म हो सकता है? सुनने में बड़ा ही हैरान करने वाला सवाल लगता है। लेकिन अब ये महज़ एक कल्पना नहीं, बल्कि इसे हकीकत बनाने की कोशिशें हो रही हैं।

अब वैज्ञानिक मौत को हराने के एक फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। एक ऐसी तकनीक जो शरीर को ज़िंदा रखे। वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि रुकी हुई साँसें फिर से चलें और धड़कना बंद हो गया दिल फिर से। जो मिट गया है उसे वापस लाया जा सके, यानी क्रायोनिक्स, एक ऐसी तकनीक जो मौत को पलट देती है।

ये अब अरबों डॉलर की वैज्ञानिक दौड़ बन गई है। प्रयोगशालाएँ, शोध, सुपर-कंप्यूटर, क्रायो-टैंक और इंसानी ज़िद... सब एक ही मिशन में लगे हैं और वो सुपर मिशन है मौत को हराने की जंग।

पुनर्जन्म: आस्था या वैज्ञानिक संभावना? मृत्यु के पार जीवन की खोज ही वो परम सत्य है...जिसे जानते तो सब हैं पर देखना कोई नहीं चाहता। सब जानते हैं कि एक दिन सब कुछ यहीं छूट जाएगा।

शरीर, साँसें, रिश्ते और सपने। फिर भी, हर दिल के कोने में एक ख्वाहिश छिपी है। काश ज़िंदगी कभी खत्म न हो। हर कोई चाहता है कि मृत्यु का क्षण कभी न आए और अगर आए भी, तो किसी चमत्कार से आँखें फिर से खुल जाएँ और एक नई शुरुआत हो जाए। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है?

क्या कोई व्यक्ति सचमुच मरकर फिर से जीवित हो सकता है? यह प्रश्न सदियों से चट्टान की तरह खड़ा है। आखिर पुनर्जन्म का सत्य क्या है? भारत में पुनर्जन्म केवल एक धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि सनातन दर्शन का आधार है।

गीता में भगवान कृष्ण का यह कथन कि आत्मा न मरती है और न ही जन्म लेती है, इस मान्यता को पुष्ट करता है कि मृत्यु शरीर की होती है, आत्मा की नहीं। आत्मा बार-बार नया शरीर धारण करती है और यही पुनर्जन्म है। अब विज्ञान ने इस विचार को प्रयोगशाला में ला दिया है।

क्या मृत्यु को रोका जा सकता है? विज्ञान के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो मस्तिष्क, हृदय और शरीर की सभी क्रियाएँ स्थायी रूप से रुक जाती हैं। जिसके बाद किसी को वापस जीवित करना असंभव माना जाता है।

अभी तक विज्ञान के पास मृत्यु के बाद जीवन वापस लाने की कोई निश्चित और प्रभावी तकनीक नहीं है। कल्पना कीजिए, एक ऐसे भविष्य की जहाँ मृत्यु केवल एक विराम बटन हो, पूर्ण विराम नहीं। क्या भविष्य में किसी मृत शरीर को पुनर्जीवित किया जा सकता है? क्या यह वास्तविक जीवन में संभव है?

क्रायो-प्रिजर्वेशन: विज्ञान का सबसे आश्चर्यजनक शोध एक जर्मन कंपनी ने यूरोप की पहली क्रायोनिक्स लैब बनाई है। जहाँ मृत शरीर को तरल नाइट्रोजन की मदद से इस तरह संरक्षित किया जाता है कि शरीर के अंग सड़ते नहीं हैं, कोशिकाएँ वैसी ही रहती हैं जैसी मृत्यु से ठीक पहले थीं। लेकिन इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी?

क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि एक दिन चिकित्सा विज्ञान इतना विकसित हो जाएगा कि इन जमे हुए शरीरों को पुनर्जीवित किया जा सकेगा। ज़रा सोचिए, अगर अभी किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उसका शरीर जमा हुआ है और वर्षों बाद, जब विज्ञान के पास नई तकनीक होगी, तो उसे पुनर्जीवित किया जाएगा। पुनर्जन्म के सपने की कीमत कितनी है?

पुनर्जन्म की पूरी प्रक्रिया की कीमत कोई छोटी बात नहीं है। क्रायो-प्रिजर्वेशन की दरें अलग-अलग अंगों के हिसाब से तय होती हैं। \'टुमॉरो बायो\' नाम की यह कंपनी एक मृत शरीर को फ्रीज करने के लिए लगभग 1 करोड़ 80 लाख रुपये लेती है।

जबकि सिर्फ़ दिमाग को फ्रीज करने के लिए यह 67 लाख 20 हज़ार रुपये लेती है। इस प्रक्रिया में, शरीर को माइनस 198 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा कर दिया जाता है। जिससे अपघटन प्रक्रिया हमेशा के लिए रुक जाती है।

इसे \'बायोस्टेसिस\' की अवस्था कहते हैं। मतलब, अगर किसी की मृत्यु हो जाती है और मृत्यु से पहले वह ऐसी तैयारी करना चाहता है कि उसका शरीर भविष्य में फिर से जीवित हो सके, तो यह एक तरह का दूसरा जीवन बीमा है... लेकिन यह बहुत महंगा है। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, यह एक ऐसी दुनिया बनाना चाहती है जहाँ लोग खुद तय कर सकें कि वे कितने समय तक जीना चाहते हैं। जर्मन कंपनी टुमॉरो बायो ने भी मृत्यु के बाद पुनर्जन्म के लिए पंजीकरण शुरू कर दिया है।

650 से ज़्यादा लोग इस सेवा के लिए भुगतान कर चुके हैं और मृत्यु के बाद अपने शरीर के जमने का इंतज़ार कर रहे हैं। अब तक टुमॉरो बायो ने 6 लोगों और 5 पालतू जानवरों का क्रायो-प्रिजर्वेशन किया है। पुनर्जन्म का यह विचार नया नहीं है। इस पर विस्तृत शोध ज़रूर नया है। हज़ारों साल पहले मिस्र की सभ्यता में लोग मानते थे कि मृत्यु अंत नहीं, बल्कि एक बदलाव है।

वे शवों को ममी बनाकर इस विश्वास के साथ संरक्षित करते थे कि एक दिन वे फिर से जीवित हो जाएँगे। अब आपको जर्मन कंपनी \'टुमॉरो बायो\' की क्रायो-प्रिजर्वेशन प्रक्रिया के बारे में बताते हैं।

टुमॉरो बायो कंपनी किसी व्यक्ति की मृत्यु के तुरंत बाद क्रायो-प्रिजर्वेशन प्रक्रिया शुरू कर देती है। इसके लिए यूरोपीय शहरों में विशेष एम्बुलेंस शव को लैब के मुख्य केंद्र तक ले जाती हैं।

इसके बाद, शव को एक अलग स्टील कंटेनर में लिक्विड नाइट्रोजन से भरकर माइनस 198 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाता है, ताकि आवश्यक हिमांक तापमान बनाए रखा जा सके। अभी तक विज्ञान मृत्यु के बाद जीवन को बनाए रखने की कोई निश्चित तकनीक नहीं खोज पाया है।

इसीलिए क्रायो-प्रिजर्वेशन जैसी तकनीकों पर अभी भी शोध जारी है। ज़रा सोचिए, किसी की मृत्यु हो गई है। लेकिन शरीर अभी भी जीवित है। व्यक्ति मृत्यु के बाद अपने सुनहरे भविष्य का इंतज़ार कर रहा है। ये कोई साइंस फिक्शन फिल्म की बातें नहीं हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, भविष्य में यह एक हकीकत बनने वाला है।

हज़ारों लोग मृत्यु के बाद फिर से ज़िंदा होने की तैयारी कर चुके हैं और सैकड़ों लोगों को पहले ही फ्रीज़ किया जा चुका है। यह उस दिन का इंतज़ार है जब इंसान विज्ञान के ज़रिए मौत को खत्म कर सकेगा। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि लोग मरने से पहले ही इसकी कीमत चुका रहे हैं। हज़ारों लोगों ने मृत्यु के बाद जीवन के लिए पंजीकरण कराया है।

क्रायोनिक्स: मृत्यु के बाद जीवन पाने का आखिरी प्रयास कल्पना कीजिए कि किसी की मृत्यु हो जाती है... और उसका दिल धड़कना बंद हो जाता है। शरीर ठंडा पड़ जाता है और साँसें रुक जाती हैं।

लेकिन इसके बाद भी, सब कुछ खत्म नहीं होता। यह अंत नहीं है, बल्कि एक और शुरुआत की उम्मीद हो सकती है। क्योंकि आज की दुनिया में, विज्ञान ने क्रायोनिक्स नाम का एक द्वार खोल दिया है। वह तकनीक जो कहती है कि मृत्यु के बाद भी वापसी संभव है। यह सिर्फ़ एक विचार नहीं, बल्कि एक प्रयोग बन गया है।

वर्ष 2023 तक, दुनिया भर में 500 से ज़्यादा लोगों को क्रायो-प्रिजर्वेशन तकनीक के ज़रिए फ्रीज किया जा चुका है। माइनस 196°C पर, उनके शरीर को लिक्विड नाइट्रोजन के अंदर क्रायो-प्रिजर्व किया गया है।

मृत्यु के बाद भी उन्हें सुरक्षित रखा गया है। इतना ही नहीं, 1500 से 5500 लोग पहले ही क्रायोनिक्स के लिए पंजीकरण करा चुके हैं। इन लोगों ने पैसे देकर यह सुनिश्चित किया है कि जब उनकी मृत्यु हो, तो उनके शरीर को उसी क्षण फ्रीज कर दिया जाए।

ताकि जब विज्ञान एक दिन इतना विकसित हो जाए कि वह मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवित कर सके और उन्हें वापस जीवन दे सके। यानी, मरने वाले लोगों ने अपने जीवन में ही यह तय कर लिया है

कि मरने के बाद उनके शरीर को इस तरह सुरक्षित रखा जाए कि भविष्य में जब विज्ञान मौत को परास्त करने लगे, तो वे फिर से इस दुनिया में लौट सकें। क्योंकि ऐसी संभावना है कि भविष्य में वे अपने उसी शरीर में दोबारा जन्म ले सकें...जैसा कि \'टुमॉरो बायो\' नाम की एक जर्मन कंपनी दावा कर रही है।












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